additional reading yoloxxx.com busty milfs pussylicking with cute stepteen.

गाडगे बाबा का झाड़ू पूजा के किसी फूल से कम नहीं था

0

साथियों
आज उस सख्श की पुण्यतिथि या परिनिर्वाण दिवस है जो केवल ‘साक्षर’ होते हुए भी गुलामी के उस दौर में शिक्षा की अलख जगा रहा था, जब पढ़ना-लिखना या विद्यालय जाकर शिक्षा ग्रहण करना सबके बूते के बाहर की चीज थी। उन्होंने अपने कीर्तन के माध्यम से गरीबों के उत्थान, शिक्षा और स्वच्छता को बढ़ावा दिया।
वे स्कूली शिक्षा तो नहीं प्राप्त कर सके पर सामाज रूपी पाठशाला में पाई शिक्षा के मामले में उनका कोई सानी नहीं था। वे यह भली भांति जानते थे कि आने वाला समय शिक्षा या शिक्षित लोगों का ही होगा, इसलिए जब तक जिए शिक्षा के लिए काम करते रहे। तभी तो वे कहते थे कि बच्चों को पढ़ाने के लिए पैसा न हो तो घर के बर्तन बेंच दो, हांथ पर रोटी लेकर खाओ पर बच्चों को शिक्षा जरूर दिलाओ। गरीब बच्चों की शिक्षा में मदद करो। वे यह सिखाने या बताने में सफल रहे कि एक कम पढ़ा-लिखा या अनपढ़ व्यक्ति भी शिक्षा के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित हो सकता है। उन अभिभावकों को अपने समाज के महापुरुष संत गाडगे बाबा के जीवनचर्या से सीख लेनी चाहिए, जो इस बात का रोना रोते हैं कि हम तो पढ़े लिखे हैं नहीं अपने बच्चों को कैसे पढ़ाएं? उन्होंने यह भी साबित किया कि वे भले ही किसी कारणवश शिक्षा न ग्रहण कर पाए हों पर आने वाली कौमों को शिक्षा से वंचित नहीं रहने देंगे। उनके द्वारा गरीब बच्चों के लिए बनवाए गए छात्रावास और 30 से अधिक शिक्षण संस्थाएं इस बात का पुख्ता प्रमाण हैं। वे मानते थे की शिक्षा पर किसी एक वर्ग विशेष की ठेकेदारी नहीं चलेगी और इसके लिए उन्होंने काम भी बहुत किया।1911 में बनवाई गई 17 लाख रुपए खर्च कर बनवाई गई धर्मशाला इस बात का जीवंत प्रमाण है कि एक कम पढ़ा-लिखा या अनपढ़ व्यक्ति भी हजारों लाखों लोगों को अशिक्षा रूपी अंधकार के दलदल से बाहर निकाल सकता है और हजारों घरों में फैले अंधियारे को दूर कर सकता है बशर्ते वह ठान ले। उन्होंने यह भी साबित किया कि जीवन की वास्तविक शिक्षा स्कूल या विश्वविद्यालय जाए बगैर भी सामाज रूपी पाठशाला में प्राप्त की जा सकती है।
उनका झाड़ू पूजा के किसी फूल से कम नहीं था। उन्होंने बिना समाज कल्याण प्रशासन की पढ़ाई किए ही सैकड़ों संस्थाओं का प्रशासन व प्रबंधन कुशलतापूर्वक संभाला। वे एक अच्छे सामाजिक कार्यकर्ता, कुशल प्रबंधनकर्ता, अर्थशास्त्री, शिक्षक, वक्ता आदि गुणों से परिपूर्ण थे। उन्होंने न केवल गरीबों के उत्थान के लिए काम किया बल्कि सकल समाज की बेहतरी के लिए काम किया। संत गाडगे बाबा ने डा. बाबा साहेब आंबेडकर द्वारा स्थापित पिपल्स एजुकेशन सोसाएटी को पंढरपुर की अपनी धर्मशाला छात्रावास हेतु दान की थी। इससे यह ज्ञात होता है कि वे शिक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता पर कितने दृढ़ थे। ऐसा नहीं कि उन्होंने केवल मनुष्यों के लिए ही काम किया। मनुष्येत्तर प्राणियों के लिए भी उन्होंने उल्लेखनीय कार्य किया। ऐसे तमाम कारण हैं जिनकी बदौलत वे आज भी लोगों के दिलों पर राज करते हैं तभी तो उन्हें महाराज (संत गाडगे महाराज) के नाम से जाना जाता है। उनके द्वारा किए गए अतुलनीय कार्यों के लिए उन्हें कोई एक पुरस्कार या पुरस्कारों की सीमा में बांधा नहीं जा सकता। मेरी निजी राय में ऐसा कोई पुरस्कार नहीं है जिससे उनके द्वारा किए गए योगदान को मूल्यांकित किया जा सके।

वे एक ऐसे समुदाय में (23 फरवरी, 1876 को) जन्में थे जिसकी रग-रग में समाज सेवा कूट-कूट कर भरा हुआ है, जो कभी हार नहीं मानता है और न ही किसी मौसम या ऋतु की परवाह करता है। वह समुदाय जो गर्मी की तपिश, बरसात की तूफानी बारिश और जाड़े की सर्द हवाओं के रुख के सामने चट्टान की तरह अडिग रहकर अपना काम ईमानदारी और मेहनत से करता रहता है। जी हां गाडगे बाबा ने अपने उसी धोबी समुदाय की खूबियों को चरितार्थ करते हुए बिना किसी मौसम की परवाह करते हुए गांव-गांव, गली-गली शिक्षा, स्वास्थ्य और सफाई का अलख जागते रहे और नदी की अविरल धारा की तरह अपने कर्तव्य मार्ग पर अनवरत बढ़ते रहे। और आज ही के दिन (20 दिसंबर, 1956 को) अपने कर्तव्य पथ पर चलते-चलते पूर्णा/पेढ़ी नदी के तट पर 12:20 रात्रि पर उनकी जीवन यात्रा समाप्त हो गई। पर उनके अनुयायियों ने उनके कर्तव्य पथ को रुकने नहीं दिया हां गति थोड़ी धीमी जरूर हुई है, पर आहिस्ता-आहिस्ता आगे बढ़ रहा है।

अपने कार्यों को ही सच्ची पूजा और सच्चा स्मारक मानने वाले और लाखों दिलों पर राज करने वाले संत गाडगे जी महाराज को शत-शत नमन???
नरेन्द्र कुमार दिवाकर
मो. 9839675023

Leave A Reply

Your email address will not be published.

sikiş reina sakai poses nude while fingering her twat.