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*जो कभी थहुनरमंद आज जरूरतमंद बनकर रह गए हैं

सोचने वाली बात यह है कि चारों ओर फैले लॉन्ड्री एन्ड ड्राइक्लीनिंग के कारोबार में हमारी क्या भागीदारी है? कभी केवल हम्ही इस पेशे में थे और बाकी सब हमारे द्वारा धुले और रंगे हुए कपड़े पहनते थे। हां यह जरूर था कि हमारे श्रम का शोषण होता था…

हमारे समुदाय के महिलाओं की भागीदारी बिजनेस में बढ़े तो…

महिलाओं को ऐतिहासिक रूप से व्यवसाय/व्यापार के भीतर नेतृत्व की भूमिकाओं से बाहर रखा गया है। हालांकि आज पहले से स्थितियां भिन्न हैं पर बहुत बड़ा बदलाव नहीं हुआ है। नाइजीरिया की स्थिति इस मामले में बेहतर है। अमेरिकन एक्सप्रेस द्वारा कमीशन की…

महानिर्माणकर्ता का महापरिनिर्वाण

महानिर्माणकर्ता का महापरिनिर्वाण महाराष्ट्र कि भूमि को संतों एवं समाज सुधारकों की माता कहा जाता है। 23 फरवरी, 1876 को इसी माटी में जन्मे (एक साधारण से धोबी परिवार/झिंगराजी और सखूबाई के घर में) निष्काम कर्मयोगी का 20 दिसंबर 1956 को…

अपने समुदाय की प्रगति के लिए सामूहिक/सामुदायिक प्रयास?????? से भी बहुत कुछ करना होगा*

साथियों पिछले लगभग 70 सालों में देश का विकास तो बहुत हुआ है लेकिन इसमें न तो सभी तबकों, समूहों और समुदायों की समुचित भागीदारी हो सकी है और न ही सभी तबकों का विकास। हमारे समुदाय/समाज की स्थिति भी कुछ इसी तरह है। हम आज भी विकास और…

*वेलफेयर ऑर्गेनाइजेशन फ़ॉर धोबिस (WOrD) के सौजन्य से प्रयागराज उत्तर प्रदेश में स्थापित संत गाडगे…

23 फरवरी, 2021(मंगलवार) को स्वच्छता के समाजशास्त्र के जनक, बुद्धिवादी आंदोलन के प्रणेता, मानवता के अग्रदूत, निष्काम कर्मयोगी संत गाडगे महाराज जी की 145वीं जयंती के अवसर पर पन्ना लाल रोड धोबीघाट सिविल लाइंस (चन्द्र शेखर आज़ाद पार्क के पीछे)…

एक महान समाज सुधारक- संत गाडगे महाराज By नरेन्द्र दिवाकर

23 फरवरी को एक ऐसी सख्शियत की जयन्ती है जिन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन समाज की बेहतरी हेतु लगा दिया। अपने घर-परिवार की परवाह न करते हुए सारा समय समाज की सेवा में बिता दिया। वो सख्शियत हैं- संत गाडगे महाराज। जिन महान विभूतियों पर हमें गर्व…

*महान समाज सुधारक- निष्काम कर्मयोगी संत गाडगे महाराज*

23 फरवरी को एक ऐसी सख्शियत की जयन्ती है जिन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन समाज की बेहतरी हेतु लगा दिया। अपने घर-परिवार की परवाह न करते हुए सारा समय समाज की सेवा में बिता दिया। वो सख्शियत हैं- संत गाडगे महाराज। जिन महान विभूतियों पर हमें गर्व…

*क्या है महीन जातिवाद?*

जो लोग जितना अधिक पढ़े-लिखे हैं वे उतना ही महीन जातिवाद करते हैं जो हम/आप को आसानी से समझ नहीं आता। हम बड़ी आसानी से कह देते हैं कि अरे! आजकल ऐसा कुछ नहीं है। लेकिन ऐसा होता है, हो सकता है आपको यकीन न हो। तो इसलिए एक उदाहरण बताता हूँ जो कि…

*लोगों की संख्या बल का कोई महत्व नहीं*

*लोगों की संख्या बल का कोई महत्व नहीं* इतिहास गवाह है कि क्रांति के लिए लोगों की संख्या बल भर कभी पर्याप्त नहीं होती। किसी भी बड़ी क्रांति की रचना सामान्यतयः बड़े जनसमूहों के बजाय आंदोलनकारियों के छोटे-छोटे समूहों ने ही की है। मेरा अपना…

*क्या है महीन जातिवाद?*

जो लोग जितना अधिक पढ़े-लिखे हैं वे उतना ही महीन जातिवाद करते हैं जो हम/आप को आसानी से समझ नहीं आता। हम बड़ी आसानी से कह देते हैं कि अरे! आजकल ऐसा कुछ नहीं है। लेकिन ऐसा होता है, हो सकता है आपको यकीन न हो। तो इसलिए एक उदाहरण बताता हूँ जो…
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